अमेरिकी टैरिफ से निपटने को भारत ने साधा रूस-चीन का रुख

अमेरिका द्वारा भारत के सीफूड निर्यात पर 50% तक टैरिफ लगाने के बाद केंद्र सरकार ने निर्यातकों को नए बाजार खोजने का निर्देश दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले से भारत के फ्रोजन झींगा और प्रॉन्स के प्रमुख अमेरिकी बाजार पर असर पड़ना तय है। फिलहाल अमेरिका भारत के समुद्री खाद्य निर्यात का लगभग 35% हिस्सा खरीदता है, जिसकी वार्षिक कीमत 2.8 अरब डॉलर है।

केंद्रीय मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री राजीव रंजन सिंह ने सोमवार को सीफूड निर्यातकों के साथ बैठक में रूस, चीन, दक्षिण कोरिया, यूके और यूएई जैसे देशों में नए अवसर तलाशने पर जोर दिया। मंत्री ने कहा, “जहां चाह है, वहां राह है,” साथ ही पैकेजिंग और वैल्यू एडिशन में सुधार की आवश्यकता पर भी बल दिया। साउथ कोरिया और यूरोपीय संघ को भी महत्वपूर्ण संभावित बाजार के रूप में देखा जा रहा है।

पिछले दशक में भारत का मछली निर्यात 30 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 60 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी के कारण यह वृद्धि चुनौती में बदल सकती है। सरकार का मानना है कि वैकल्पिक बाजारों में विस्तार से न केवल मौजूदा नुकसान की भरपाई होगी, बल्कि भारतीय सीफूड उद्योग की वैश्विक हिस्सेदारी भी मजबूत होगी।

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