कलाम का ‘नंदी’: बिना पंख उड़ने वाले सपने की कहानी

नई दिल्ली। भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की प्रेरक वैज्ञानिक यात्रा में ‘नंदी’ नामक स्वदेशी हॉवरक्राफ्ट एक अहम अध्याय है। यह बिना पंखों वाला एयरक्राफ्ट न केवल उनकी रचनात्मकता का प्रतीक था, बल्कि रक्षा अनुसंधान में आत्मनिर्भर भारत के बीज भी इसी परियोजना में छिपे थे। बतौर वैमानिकी इंजीनियर, कलाम ने इस ग्राउंड ब्रेकिंग प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया और इसे उड़ान के लिए तैयार किया।

‘नंदी’ का निर्माण ग्राउंड इक्विपमेंट मशीन (GEM) के रूप में हुआ था, जिसमें कलाम ने पंखरहित लेकिन उड़ने वाले वाहन की संकल्पना को साकार किया। उस समय के रक्षा मंत्री वी.के. कृष्णा मेनन ने कलाम के साथ इस विमान की परीक्षण उड़ान में भाग लिया। सुरक्षा शंकाओं के बावजूद मेनन ने कहा था, “और शक्तिशाली विमान बनाओ और मुझे उड़ने के लिए बुलाओ।” इस अनुभव ने कलाम के आत्मविश्वास को नई दिशा दी और बाद में यही आत्मविश्वास उन्हें SLV-3 और ‘अग्नि’ जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स तक ले गया।

हालाँकि ‘नंदी’ योजना बाद में रद्द कर दी गई, लेकिन इसने कलाम को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति में प्रवेश दिलाया, जहाँ से वे मिसाइल मैन की राह पर आगे बढ़े। उनका मानना था कि असफलताएं रुकावट नहीं, सीखने का अवसर होती हैं। ‘नंदी’ उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रतीक था—एक ऐसा प्रयास जो केवल तकनीक नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता का सपना था।

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