टच सैंपलिंग रेट: फोन खरीदने से पहले जानें जरूरी बातें

स्मार्टफोन खरीदते समय लोग कैमरा, बैटरी और प्रोसेसर पर ध्यान देते हैं, लेकिन टच सैंपलिंग रेट जैसी महत्वपूर्ण विशेषता अक्सर नजरअंदाज हो जाती है। टच सैंपलिंग रेट, जिसे हर्ट्ज (Hz) में मापा जाता है, यह दर्शाता है कि फोन की स्क्रीन एक सेकेंड में कितनी बार उपयोगकर्ता के टच को पढ़ती है। उदाहरण के लिए, 240 Hz का टच सैंपलिंग रेट मतलब स्क्रीन हर 4.16 मिलीसेकेंड में टच रजिस्टर करती है। “यह फीचर फोन की प्रतिक्रिया गति को निर्धारित करता है, खासकर गेमिंग और तेज नेविगेशन के लिए,” दिल्ली के टेक विशेषज्ञ राहुल वर्मा बताते हैं। बाजार में 180 Hz से लेकर 1000 Hz तक के टच सैंपलिंग रेट वाले फोन उपलब्ध हैं।

उच्च टच सैंपलिंग रेट का सबसे बड़ा फायदा है स्क्रीन की त्वरित प्रतिक्रिया। गेमर्स के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि तेज प्रतिक्रिया से गेम में सटीकता बढ़ती है। “हाई टच सैंपलिंग रेट वाला फोन गेमिंग में अंतर पैदा कर सकता है,” गेमिंग एनालिस्ट प्रिया शर्मा कहती हैं। साथ ही, सामान्य उपयोग में ऐप्स तेजी से खुलते हैं और स्क्रॉलिंग स्मूद होती है। हालांकि, विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि हर उपयोगकर्ता को इसकी जरूरत नहीं होती। यदि आप केवल सोशल मीडिया या कॉलिंग के लिए फोन इस्तेमाल करते हैं, तो 120 Hz भी पर्याप्त है।

हालांकि, उच्च टच सैंपलिंग रेट का एक बड़ा नुकसान है बैटरी की अधिक खपत। ज्यादा हर्ट्ज का मतलब है स्क्रीन बार-बार टच स्कैन करती है, जिससे बैटरी तेजी से खत्म होती है। इसके अलावा, टच सैंपलिंग रेट को रिफ्रेश रेट से अलग समझना जरूरी है। रिफ्रेश रेट स्क्रीन के इमेज अपडेट होने की गति है, जबकि टच सैंपलिंग रेट टच इनपुट की गति। दोनों मिलकर फोन का अनुभव बेहतर बनाते हैं, लेकिन बैटरी पर असर डालते हैं। इसलिए, फोन खरीदने से पहले अपनी जरूरतों और बैटरी बैलेंस पर विचार करें।

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