गुड और बैड फैट में क्या है असली फर्क?

जब भी वज़न कम करने की बात आती है, तो अक्सर फैट को दुश्मन माना जाता है। हालांकि, शरीर के सुचारू कार्य के लिए विविध पोषक तत्वों की तरह फैट भी जरूरी है। गुड फैट (अच्छा वसा) से ऊर्जा मिलती है तथा यह सेल्स और हृदय को मजबूत बनाए रखता है, जबकि बैड फैट (खराब वसा) कोलेस्ट्रॉल बढ़ाकर हार्ट अटैक, स्ट्रोक और मोटापे जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ाता है।

अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के डॉ. अली शेर के अनुसार, “मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड गुड फैट ऑलिव ऑयल, सूखे मेवे, मछली और अवोकाडो में मिलता है। यह स्वस्थ कोलेस्ट्रॉल बढ़ाकर खराब कोलेस्ट्रॉल घटाता है।” इसलिए, एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि डाइट में गुड फैट को सीमित मात्रा में शामिल किया जाए, जिससे शरीर को आवश्यक ऊर्जा और पोषण मिल सके।

वहीं, सैचुरेटेड और ट्रांस फैट रेड मीट, बटर, बेकरी आइटम्स तथा फ्राई किए खाने में पाया जाता है। डॉ. शेर कहते हैं, “ट्रांस फैट धमनियों में सूजन पैदा कर हार्ट डिजीज का खतरा कई गुना बढ़ा देता है।” इसीलिए, प्रोसेस्ड और तला-भुना खाना कम करें तथा पैकेज्ड प्रोडक्ट्स पर “हाइड्रोजेनेटेड ऑयल” या “ट्रांस फैट” सूची देखकर ही खरीदारी करें। संतुलित डाइट और नियमित एक्सरसाइज बैड फैट से दूरी बनाए रखने में मददगार साबित होती है।

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