अजरबैजान-रूस तनाव: रणनीतिक भूचाल के संकेत

अजरबैजान-रूस संबंधों में दशकों की स्थिरता अब असमंजस और अविश्वास में बदलती जा रही है। येकातेरिनबर्ग में अजरबैजानी नागरिकों की हिरासत के दौरान कथित मौत ने दोनों देशों के बीच एक नए टकराव को जन्म दिया है। अजरबैजान सरकार ने इसे “जानबूझकर हत्या” करार दिया है, जबकि रूस इसे “प्राकृतिक कारण” बता रहा है। जवाबी कार्रवाई में अजरबैजान द्वारा रूसी पत्रकारों की गिरफ्तारी ने हालात को और भी उलझा दिया है।

इन विवादों ने पुराने घावों को भी ताजा कर दिया है। दिसंबर 2024 के प्लेन हादसे को लेकर अजरबैजान के आरोप और रूस का खंडन दोनों देशों की शत्रुतापूर्ण मुद्रा को रेखांकित करते हैं। इसके अलावा, अजरबैजान की रूसी भाषा पर रोक और सांस्कृतिक आयोजनों को बंद करना रूस के लिए सांस्कृतिक झटका है। विशेषज्ञ मानते हैं कि तुर्की के साथ अजरबैजान की बढ़ती सैन्य नजदीकी और रूस की यूक्रेन पर व्यस्तता ने इस कूटनीतिक दूरी को और बढ़ावा दिया है।

भारत के लिए यह परिदृश्य अहम है। एक ओर रूस उसका पारंपरिक सहयोगी है, वहीं अजरबैजान पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा नजर आता है। यदि अजरबैजान-रूस विवाद और गहराता है, तो दक्षिण काकेशस में शक्ति संतुलन बदल सकता है। भारत को इस उभरते समीकरण का सूक्ष्म अवलोकन करना होगा, ताकि वह अपने सामरिक हितों की रक्षा करते हुए वैश्विक मंच पर प्रभावी भूमिका निभा सके।

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