रूस-ईरान सैन्य अभ्यास से अजरबैजान पर मंडराए युद्ध के बादल

कास्पियन सागर में 21 जुलाई से जारी ‘काजारेक्स 2025’ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास ने क्षेत्रीय संतुलन हिला दिया है। रूसी विध्वंसकों और ईरान की आईआरजीसी नौका‑दस्ते के साथ गश्त करते देखे जाने पर बाकू में खलबली मच गई, जहाँ राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव पहले ही मास्को पर तीखे प्रहार कर चुके हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि रूस-ईरान की बढ़ती सामरिक करीबी अजरबैजान के लिए सीधा संदेश है—“अपनी सीमाएँ पहचानो।”

इसी बीच क्रेमलिन‑समर्थक ब्लॉगर दिमित्री सेलेज़ानोव ने बीबीसी से कहा, “हम जितनी जल्दी युद्ध में उतरें, उतना बेहतर।” रूसी विश्लेषक यूरी कोटेनेक ने अलीयेव को “अहंकारी तानाशाह” बताते हुए चेताया कि समय हाथ से निकल रहा है। मॉस्को की हायर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर दिमित्री युस्ताफिएव ने हमारे साथ बातचीत में आगाह किया, “अगर लड़ाई छिड़ी तो अजरबैजान के पास बचाव का विकल्प सीमित होगा; तुर्की अभी व्यावहारिक सहायता नहीं दे पाएगा।” ऐसे सुरों से रूस-ईरान गठजोड़ की दृढ़ता और स्पष्ट होती दिख रही है।

फिर भी, जर्मन भू‑रणनीतिक शोधकर्ता निकोलाई रिटर याद दिलाते हैं कि दक्षिण काकेशस “छोटे मोर्चों का विशाल शतरंज” है। उनके शब्दों में, “जॉर्जिया‑मार्ग से रूसी जमीनी गलियारा खुलना बाकू को घेर सकता है, पर इससे पहले आर्थिक प्रतिबंधों और कूटनीतिक मध्यस्थता की गुंजाइश खत्म होनी चाहिए।” तटवर्ती ऊर्जा पाइपलाइनों पर निर्भर यूरोप भी हालात पर नजरें गड़ाए हुए है। फिलहाल, रूस-ईरान अभ्यास का हर गुजरता दिन अजरबैजान पर दबाव बढ़ा रहा है—और कैस्पियन में उठते हथियारों की गर्जना किसी बड़े तूफान की आहट सुना रही है।

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