AI के ज़रिए इजराइल ने ईरान में परमाणु वैज्ञानिकों को मारा

ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर इजराइल ने हाल ही में एक सटीक और घातक हमला किया, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की अहम भूमिका रही। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह हमला वर्षों की गुप्त योजना और खुफिया जानकारी का परिणाम था। इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने AI का इस्तेमाल कर ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों और परमाणु वैज्ञानिकों के रूटीन को ट्रैक किया और हमले के लिए सबसे उपयुक्त समय और स्थान तय किया।

हमले में रिवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख जनरल हुसैन सलामी, जनरल मोहम्मद बाघेरी और मिसाइल प्रोग्राम हेड समेत कम से कम आठ वरिष्ठ अधिकारी मारे गए। इनमें से कई बंकरों में छिपे थे, जहां तक इजराइली ड्रोन और गुप्त एजेंटों की मदद से पहुंच बनाई गई। इसके साथ ही, मिसाइल लॉन्चर वाहनों और एयर डिफेंस सिस्टम को भी निशाना बनाकर निष्क्रिय किया गया। रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह ऑपरेशन ‘राइजिंग लायन’ नामक अभियान का हिस्सा था, जिसे वर्षों से तैयार किया जा रहा था।

इजराइल की यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई जब अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को लेकर वार्ता चल रही थी। इजराइली सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि AI की मदद से इस तरह के हमलों में सफलता की संभावना बढ़ गई है। वहीं, ईरान का यह मानना कि वार्ता के दौरान हमला नहीं होगा, उसकी बड़ी भूल साबित हुई। विशेषज्ञ इसे आधुनिक युद्ध का नया चेहरा मान रहे हैं, जिसमें डेटा, तकनीक और पूर्व खुफिया जानकारी सबसे अहम हथियार हैं।

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