रुपया बनाम पीकेआर: भारत की करेंसी ने मारी बाजी

नई दिल्ली: पिछले एक दशक में भारतीय रुपया ने पाकिस्तानी रुपये (पीकेआर) के मुकाबले शानदार प्रदर्शन किया है। 2015 से 2025 तक भारतीय रुपया केवल तीन बार 5% से अधिक गिरा, जबकि पीकेआर पांच बार दोहरे अंक में टूटा। 2025 में भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 0.41% मजबूत हुआ, वहीं पीकेआर 0.90% कमजोर हुआ। भारत की 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और विदेशी निवेश ने रुपये को स्थिरता दी, जबकि 130 अरब डॉलर के कर्ज से जूझ रहे पाकिस्तान की करेंसी दबाव में है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के अनुज गुप्ता ने कहा, “भारत में शेयर बाजार में निवेश और तेल की कीमतों में कमी रुपये की ताकत हैं।”

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था आईएमएफ बेलआउट पर निर्भर है, जिसके बावजूद पीकेआर का प्रदर्शन कमजोर रहा। 2022 में पीकेआर 28.34% टूटा, जबकि भारतीय रुपये की सबसे बड़ी गिरावट उसी वर्ष 11% थी। भारत और अमेरिका के बीच संभावित ट्रेड डील से रुपये को और बल मिलेगा, जबकि पाकिस्तान की 68% ग्रामीण आबादी, जो खेती पर निर्भर है, सिंधु जल संकट से प्रभावित हो सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत की नीतिगत स्थिरता और निर्यात वृद्धि ने रुपये को पीकेआर पर भारी पड़ने में मदद की।

भारतीय रुपया और पीकेआर की तुलना में स्पष्ट अंतर है। 10 लाख पीकेआर भारत में केवल 3,03,049.50 रुपये के बराबर हैं, जो भारत की करेंसी की तीन गुना ताकत दर्शाता है। हाल के तनाव, जैसे पहलगाम हमले, ने दोनों देशों के बीच व्यापार को और सीमित किया, जिससे पीकेआर पर दबाव बढ़ा। भारत का आर्थिक रुतबा और करेंसी स्थिरता इसे वैश्विक मंच पर मजबूत बनाती है, जबकि पाकिस्तान को आर्थिक सुधारों के लिए लंबा रास्ता तय करना है।

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