बोगनविले आजादी: नया देश या चीन-अमेरिका युद्ध का मैदान?

प्रशांत महासागर में सोलोमन आइलैंड्स का हिस्सा बोगनविले दुनिया के नक्शे पर नया देश बनने की कगार पर है। इसके राष्ट्रपति इश्माएल तोरोमा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सौदा पेश किया: पापुआ न्यू गिनी से बोगनविले आजादी दिलाने के बदले द्वीप के सोने, तांबे और निकल जैसे खनिज संसाधनों पर अमेरिका का नियंत्रण। “यह सौदा प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन को हिला सकता है,” एक भू-राजनीतिक विशेषज्ञ ने कहा। यदि ट्रंप इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं, तो 2027 तक बोगनविले आजादी हासिल कर सकता है, लेकिन यह क्षेत्र चीन और अमेरिका के बीच नए तनाव का केंद्र बन सकता है।

बोगनविले का इतिहास आजादी की लड़ाई से भरा है। 1975 में इसने उत्तरी सोलोमन गणराज्य के रूप में स्वतंत्रता की घोषणा की, लेकिन 1976 में पापुआ न्यू गिनी ने इसे वापस अपने कब्जे में ले लिया। 1988-1997 के गृहयुद्ध के बाद 2001 में शांति समझौता हुआ, जिसमें जनमत संग्रह का वादा किया गया। 2019 में 97% मतदाताओं ने बोगनविले आजादी के पक्ष में वोट दिया, लेकिन पापुआ न्यू गिनी की संसद ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की। द्वीप की रणनीतिक स्थिति इसे अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण बनाती है, जो यहां सैन्य अड्डा स्थापित कर सकता है।

चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के लिए बोगनविले का क्षेत्र महत्वपूर्ण है, और अमेरिकी हस्तक्षेप इसके विस्तार को चुनौती दे सकता है। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यदि बोगनविले में अमेरिका और चीन आमने-सामने आते हैं, तो यह क्षेत्र युद्ध का नया मैदान बन सकता है। ट्रंप का निर्णय न केवल बोगनविले के भविष्य को आकार देगा, बल्कि वैश्विक स्थिरता पर भी असर डालेगा।

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