बांग्लादेश में फिर संकट, यूनुस सरकार पर दबाव

बांग्लादेश संकट एक बार फिर गंभीर मोड़ पर है, जहां अंतरिम प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने इस्तीफे की चेतावनी दी है। बीते नौ महीनों में यह दूसरी बार है जब देश अस्थिरता की कगार पर आ खड़ा हुआ है। यूनुस, जिन्हें निष्पक्ष चुनाव और राजनीतिक सुधारों के लिए लाया गया था, अब राजनीतिक दलों के समर्थन की कमी से जूझ रहे हैं। नाहिद इस्लाम जैसे युवा नेताओं का मानना है कि “जनता ने सिर्फ चेहरा बदलने के लिए नहीं, सिस्टम बदलने के लिए संघर्ष किया था।”

पिछले वर्ष जुलाई में शुरू हुए छात्र आंदोलनों ने बांग्लादेश की राजनीति को हिला कर रख दिया था। कोटा सिस्टम के खिलाफ शुरू हुआ यह विरोध आंदोलन देखते ही देखते हिंसक हो गया और अंततः प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद छोड़ना पड़ा। इसके बाद अंतरिम सरकार से उम्मीद थी कि वह देश में स्थायित्व लाएगी, लेकिन सुधारों की धीमी रफ्तार और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी से लोग अब फिर सड़कों पर उतरने लगे हैं।

ढाका में हाल ही में BNP समर्थकों का विरोध प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि यूनुस सरकार के खिलाफ जन असंतोष बढ़ रहा है। यदि राजनीतिक दल सुधारों पर सहमति नहीं बनाते, तो यूनुस का इस्तीफा तय माना जा रहा है। ऐसे में बांग्लादेश एक बार फिर राजनीतिक तख्तापलट के खतरे की ओर बढ़ता दिख रहा है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी चिंता का विषय बन सकता है।

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