पीएम मोदी ने वाट फो मंदिर में किए भगवान बुद्ध के दर्शन, जानें इस पवित्र स्थान का रहस्य

बैंकॉक, 4 अप्रैल 2025: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी दो दिवसीय थाईलैंड यात्रा के दौरान शुक्रवार को बैंकॉक के प्रसिद्ध वाट फो मंदिर का दौरा किया। इस मौके पर उन्होंने भगवान बुद्ध की लेटी हुई विशाल प्रतिमा के दर्शन किए, जो न केवल थाईलैंड की धार्मिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि शांति और आध्यात्मिकता का संदेश भी देती है। गुरुवार को थाईलैंड पहुंचे पीएम मोदी ने वहां के प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी, और अब यह मंदिर दौरा दोनों देशों के सांस्कृतिक जुड़ाव को और मजबूत करने का संकेत दे रहा है।
वाट फो मंदिर: लेटे हुए बुद्ध का आध्यात्मिक ठिकाना
वाट फो मंदिर, जिसे ‘लेटे हुए बुद्ध के मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक के फ्रा नाखोन जिले में रतनकोसिन द्वीप पर स्थित है। ग्रैंड पैलेस के ठीक दक्षिण में बसा यह मंदिर अपनी भव्यता और धार्मिक महत्व के लिए विश्व भर में मशहूर है। मंदिर में स्थापित भगवान बुद्ध की 46 मीटर लंबी लेटी हुई प्रतिमा इसे खास बनाती है। यह थाईलैंड की सबसे बड़ी और विश्व की सबसे प्रभावशाली बुद्ध प्रतिमाओं में से एक है।
मंदिर के इतिहास पर नजर डालें तो इसके निर्माण की शुरुआत 16वीं शताब्दी में मानी जाती है, हालांकि इसके संस्थापक और सटीक समय के बारे में कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है। फिर भी, यह मंदिर थाई संस्कृति और बौद्ध धर्म के प्रति गहरी आस्था का प्रतीक बन चुका है। पीएम मोदी के दौरे ने इसे एक बार फिर वैश्विक सुर्खियों में ला दिया है।
भगवान बुद्ध की प्रतिमा का संदेश
वाट फो मंदिर में मौजूद लेटी हुई बुद्ध प्रतिमा को ‘महापरिनिर्वाण मुद्रा’ कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान बुद्ध ने विषैला भोजन करने के बाद इसी अवस्था में लेटकर अपना अंतिम संदेश दिया था और फिर शरीर त्याग दिया था। यह प्रतिमा शांति, ज्ञान और सृजन का प्रतीक मानी जाती है। एक स्थानीय पुजारी ने बताया, “यह मूर्ति हमें याद दिलाती है कि जीवन का अंत भी शांतिपूर्ण और सार्थक हो सकता है।”
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पश्चिम दिशा में रखी यह प्रतिमा सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाती है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु अक्सर इसके सामने बैठकर ध्यान और योग करते हैं, जिससे उन्हें मानसिक शांति मिलती है।
मंदिर की खासियतें और नियम
वाट फो मंदिर सिर्फ अपनी विशाल प्रतिमा के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी वास्तुकला और संग्रह के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ 100 से अधिक नक्काशीदार स्तूप हैं, जो अलग-अलग आकारों में बने हैं। मंदिर परिसर में 1,000 से ज्यादा छोटी-बड़ी बुद्ध मूर्तियाँ भी मौजूद हैं। इसके अलावा, एक छोटा संग्रहालय पर्यटकों को थाई कला और इतिहास से रूबरू कराता है।
मंदिर सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है, लेकिन यहाँ प्रवेश मुफ्त नहीं है। दर्शन के लिए 100 थाई बाट (लगभग 250 रुपये) का शुल्क देना पड़ता है। साथ ही, यहाँ सख्त ड्रेस कोड लागू है। पुरुषों को पूरी शर्ट और पैंट पहननी होती है, जबकि महिलाओं के लिए घुटनों से नीचे तक के कपड़े अनिवार्य हैं। एक पर्यटक ने कहा, “यह नियम सम्मान का हिस्सा है, और यहाँ की शांति इसे खास बनाती है।”
पीएम मोदी का दौरा: सांस्कृतिक कूटनीति की मिसाल
पीएम मोदी का वाट फो मंदिर दौरा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक नजरिए से भी अहम है। भारत और थाईलैंड के बीच पर्यटन और सांस्कृतिक रिश्ते हमेशा से मजबूत रहे हैं, और यह यात्रा इसे और गहरा करने की दिशा में एक कदम है। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, “पीएम का यह दौरा दोनों देशों के साझा बौद्ध मूल्यों को रेखांकित करता है। यह भारत की ‘लुक ईस्ट’ नीति का भी हिस्सा है।”
मंदिर में दर्शन के दौरान पीएम मोदी ने वहाँ मौजूद भिक्षुओं से बात की और बुद्ध की शिक्षाओं पर चर्चा की। एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, “उनका यहाँ आना हमारे लिए गर्व की बात है। यह दिखाता है कि भारत और थाईलैंड का रिश्ता कितना गहरा है।”
वैश्विक संदेश और भविष्य
वाट फो मंदिर का महत्व सिर्फ थाईलैंड तक सीमित नहीं है। यह शांति और आध्यात्मिकता का वैश्विक प्रतीक है। पीएम मोदी का दौरा इसे और व्यापक पहचान दिलाने की दिशा में एक कदम है। जैसे-जैसे भारत और थाईलैंड के बीच सहयोग बढ़ रहा है, यह मंदिर दोनों देशों के लोगों के लिए एक साझा धरोहर के रूप में उभर रहा है।
पीएम मोदी की थाईलैंड यात्रा और सांस्कृतिक खबरों के लिए बने रहें।

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