पाकिस्तान एयरलाइंस का निजीकरण: जनता के लिए नई चुनौतियां?

पाकिस्तान सरकार ने घाटे में चल रही पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) के निजीकरण की प्रक्रिया को तेज करने का फैसला किया है। 2024 में 10 अरब रुपये की कम बोली के कारण निजीकरण विफल होने के बाद, अब मई 2025 तक पीआईए का डिमर्जर और 51-100% शेयरों की बिक्री की योजना है। निजीकरण मंत्री अब्दुल अलीम खान ने कहा, “डिमर्जर से पीआईए की वित्तीय स्थिति सुधरेगी और निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा।” सरकार ने 697 अरब रुपये के कर्ज को हटाकर एयरलाइन को आकर्षक बनाने की कोशिश की है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रक्रिया जोखिमों से भरी है।
पीआईए निजीकरण का उद्देश्य सरकार के आर्थिक बोझ को कम करना और एयरलाइन को लाभकारी बनाना है। 2011 से 2023 तक पीआईए ने 75.76 अरब रुपये तक का घाटा दर्ज किया, लेकिन 2024 में 26.2 अरब रुपये का मुनाफा कमाया। यह उपलब्धि सरकार द्वारा कर्ज हटाने के बाद संभव हुई। हालांकि, निजीकरण से कर्मचारियों की छंटनी और उड़ानों के किराए में वृद्धि की आशंका है। पूर्व कर्मचारी जावेद अख्तर ने चिंता जताते हुए कहा, “नौकरियां जाने से कई परिवारों पर आर्थिक संकट आ सकता है।” इससे जनता की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है।
निजीकरण से सरकारी संसाधनों को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में लगाने की संभावना बढ़ेगी, लेकिन आम नागरिकों को महंगे किराए और सीमित सेवाओं का सामना करना पड़ सकता है। पीआईए के 97 अंतरराष्ट्रीय मार्ग और 34 विमानों की क्षमता इसे निवेशकों के लिए आकर्षक बनाती है, पर कर्मचारी यूनियनों का विरोध और निवेशकों का सीमित रुझान चुनौतियां हैं। पीआईए निजीकरण पाकिस्तान की आर्थिक सुधार यात्रा का हिस्सा है, लेकिन इसका असर जनता पर सकारात्मक होगा या नकारात्मक, यह भविष्य तय करेगा।

ताज़ा खबर

ईरान में फंसे छात्र, MEA पर कांग्रेस का तीखा वार

पुणे पुल हादसे पर पीएम मोदी ने ली जानकारी, फडणवीस से की बात

BCCI ने घरेलू क्रिकेट शेड्यूल 2025-26 किया जारी

राफाल विध्वंस पर पाकिस्तान का दावा झूठा: दसॉ