सिंधु जल बंद: पाक की खेती, रोजगार पर संकट

नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को सिंधु जल की आपूर्ति रोककर कड़ा कदम उठाया है। 1960 की सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को सिंधु और उसकी सहायक नदियों का 80% पानी मिलता है, जो अब बंद हो गया है। यह फैसला पाकिस्तान की खेती, जलवायु और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डालेगा। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने कहा, “हमारा लक्ष्य आतंकवाद को जवाब देना है, और यह कदम उसी दिशा में है।” पाकिस्तान की 4.7 करोड़ एकड़ कृषि भूमि, जो 90% सिंचाई के लिए सिंधु जल पर निर्भर है, अब संकट में है।

पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत, जो देश की 80% खेती योग्य भूमि का हिस्सा हैं, सबसे अधिक प्रभावित होंगे। विशेषज्ञों का अनुमान है कि जल आपूर्ति बंद होने से गेहूं, चावल और गन्ने की फसलों को भारी नुकसान होगा, जिससे खाद्य असुरक्षा बढ़ेगी। इसके अलावा, तारबेला और मंगल जलविद्युत परियोजनाओं में 30-50% बिजली उत्पादन प्रभावित होगा, जिससे उद्योग और रोजगार पर भी असर पड़ेगा। एक विश्लेषक ने कहा, “पाकिस्तान की 68% ग्रामीण आबादी खेती पर निर्भर है; यह कदम सामाजिक अशांति को जन्म दे सकता है।”

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, जिसमें कृषि का 21% योगदान है, पहले से ही संकटग्रस्त है। सिंधु जल की कमी से 45% कार्यबल, जो खेती से जुड़ा है, बेरोजगारी का सामना कर सकता है। जलवायु परिवर्तन के कारण पहले से कमजोर जल प्रबंधन और भूजल दोहन की समस्या अब और गंभीर हो जाएगी। यह कदम भारत की रणनीतिक ताकत को दर्शाता है, लेकिन पाकिस्तान में मानवीय संकट की आशंका भी बढ़ा रहा है।

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