भारत ने ताजिकिस्तान सम्मेलन में उठाया सिंधु जल संधि उल्लंघन का मुद्दा

भारत ने ताजिकिस्तान के दुशांबे में हुए हाई-लेवल ग्लेशियर संरक्षण सम्मेलन में पाकिस्तान द्वारा सिंधु जल संधि का अंतरराष्ट्रीय मंच पर ज़िक्र करने को अनुचित ठहराते हुए कड़ी आपत्ति जताई है। पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने पाकिस्तान पर संधि का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि “ऐसे मंच पर ऐसे विषयों को उठाना अनुचित है जो इसके दायरे में नहीं आते।”

यह पहली बार है जब भारत और पाकिस्तान ने अप्रैल में भारत द्वारा संधि को निलंबित करने के बाद किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर सिंधु संधि को लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं। सिंह ने कहा कि “संधि में अच्छे विश्वास और मित्रता की भावना की बात की गई है, लेकिन पाकिस्तान से होने वाला लगातार सीमा पार आतंकवाद भारत की संधि के प्रावधानों के अनुसार उसे लागू करने की क्षमता में बाधा उत्पन्न करता है।” उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि जलवायु परिवर्तन और तकनीकी प्रगति जैसे कारकों के कारण संधि की वर्तमान प्रासंगिकता पर पुनर्विचार आवश्यक हो गया है।

भारत ने सम्मेलन में यह भी बताया कि कैसे पश्चिमी और पूर्वी हिमालय में ग्लेशियरों के पिघलने की भिन्न दर सिंधु जल संधि के मूल आधार को चुनौती दे रही है। सिंह ने राष्ट्रीय हिमालय पारिस्थितिकी मिशन और ISRO की निगरानी प्रणाली जैसी पहलों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जल संसाधन प्रबंधन की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि साझा प्रयास ही पहाड़ी पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।

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