चार धाम यात्रा: यमुनोत्री से क्यों शुरू होती है यह पवित्र यात्रा?

उत्तराखंड की पवित्र देवभूमि में हर साल लाखों श्रद्धालु चार धाम यात्रा के लिए पहुंचते हैं। यह यात्रा यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन से पूरी होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि यह पवित्र यात्रा हमेशा यमुनोत्री से ही क्यों शुरू होती है? धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यमुना नदी को देवी का दर्जा प्राप्त है और यमुनोत्री वह स्थान है जहां से यह पवित्र नदी निकलती है। मान्यता है कि यमुना में स्नान करने से मृत्यु का भय दूर होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। एक स्थानीय पुजारी ने कहा, “यमुनोत्री से यात्रा शुरू करना आत्मा को शुद्धि और श्रद्धा का प्रतीक है।”

भौगोलिक दृष्टिकोण से भी यमुनोत्री का स्थान इस क्रम को तर्कसंगत बनाता है। चार धामों में यमुनोत्री सबसे पश्चिम में स्थित है, जिससे यात्रा पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ती है। यह दिशा न केवल सुविधाजनक है, बल्कि पहाड़ी रास्तों पर यात्रियों के लिए कम थकाऊ भी है। उत्तराखंड पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “यमुनोत्री से शुरूआत यात्रियों को ऊंचाई और मौसम के हिसाब से बेहतर अनुकूलन देती है।” यह क्रम यात्रा को व्यवस्थित और सुरक्षित बनाता है।

पौराणिक परंपराएं भी इस क्रम को बल देती हैं। प्राचीन काल में ऋषि-मुनि और साधु-संत यमुनोत्री से ही चार धाम यात्रा शुरू करते थे, और यह परंपरा आज भी कायम है। यह केवल रिवाज नहीं, बल्कि गहरी आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। चार धाम यात्रा आत्मिक शांति और ईश्वर से जुड़ाव का मार्ग है। यदि आप इस यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो यमुनोत्री से शुरुआत करना न भूलें।

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