भारत-यूके ट्रेड डील से बढ़ेगा विदेशी निवेश

भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच हुआ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता खासतौर पर उन मल्टीनेशनल कंपनियों को आकर्षित करेगा जो ‘चाइना+वन स्ट्रैटेजी’ के तहत वैकल्पिक बाजार की तलाश में हैं। यूके द्वारा भारत के 99% उत्पादों को ड्यूटी-फ्री पहुंच देने से भारत निवेश के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी और लागत प्रभावी विकल्प बन गया है।

टेक्सटाइल्स, फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग गुड्स, रत्न-आभूषण और कृषि उत्पाद जैसे क्षेत्रों में निवेश और रोजगार दोनों की संभावनाएं मजबूत हुई हैं। इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के सीईओ डॉ. नागेश कुमार के अनुसार, “यह डील भारत को यूरोप के प्रवेश द्वार यूके के जरिए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में और मजबूत बनाएगी।” वहीं, पूर्व वाणिज्य सचिव राजीव खेर ने कहा कि “यूके के साथ चल रही निवेश संधि से निवेश प्रवाह में और पारदर्शिता आएगी।”

हालांकि, विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि एफटीए के अंतिम नियमों और क्रियान्वयन पर नजर रखना आवश्यक है ताकि वास्तविक लाभ का मूल्यांकन किया जा सके। फिर भी, यह स्पष्ट है कि यह समझौता भारत में विदेशी निवेश के नए द्वार खोल सकता है और वैश्विक कंपनियों को यहां दीर्घकालिक रूप से स्थापित होने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

 

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