सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने राष्ट्रपति संदर्भ पर दी दलील

नई दिल्ली। राष्ट्रपति संदर्भ मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना विस्तृत जवाब दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति और राज्यपालों पर राज्य विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए समय-सीमा लागू करना “शक्तियों के बंटवारे” की संवैधानिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है। सरकार का तर्क है कि न्यायपालिका द्वारा इस तरह का आदेश देना कार्यपालिका और विधायिका के अधिकारों में हस्तक्षेप के समान होगा।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र की ओर से 93 पन्नों की लिखित दलील दाखिल की। उन्होंने कहा कि अगर अदालत ऐसी समय सीमा थोपती है तो यह संविधान निर्माताओं की मंशा के खिलाफ होगा और देश में संवैधानिक अव्यवस्था उत्पन्न हो सकती है। सरकार का कहना है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल को जो विवेकाधिकार संविधान ने दिया है, उसे सीमित नहीं किया जा सकता।

केंद्र ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी कथित चूक का समाधान राजनीतिक और संवैधानिक प्रक्रियाओं के माध्यम से होना चाहिए, न कि अनावश्यक न्यायिक हस्तक्षेप से। इस महत्वपूर्ण मामले पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ 19 अगस्त से 10 सितंबर तक सुनवाई करेगी, जिसकी अध्यक्षता सीजेआई बीआर गवई करेंगे।

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