रेयर अर्थमैग्नेट के बिना बनेगी ईवी, भारत ने खोजा विकल्प

चीन द्वारा रेयर अर्थमैग्नेट के निर्यात पर रोक लगाने से भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा था, लेकिन अब देश ने इस चुनौती का समाधान ढूंढ़ लिया है। भारतीय कंपनियां ऐसे इलेक्ट्रिक वाहनों पर काम कर रही हैं जो बिना रेयर अर्थमैग्नेट के भी चालू रह सकें। विशेषज्ञों के अनुसार, वित्त वर्ष 2026-27 तक भारत में ऐसे ईवी मॉडल बाजार में उपलब्ध हो सकते हैं।

कंपोनेंट निर्माता स्टर्लिंग टूल्स के डायरेक्टर जयदीप वाधवा ने बताया कि वे पिछले पांच वर्षों से इस तकनीक पर काम कर रहे हैं। “चीन ने हमेशा रेयर अर्थमैग्नेट को रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया है,” उन्होंने कहा। जापान-चीन विवाद के दौरान आरईएम की कीमतों में तीन गुना वृद्धि इसका उदाहरण है। उनके अनुसार नई तकनीक दोपहिया, कमर्शियल और यहां तक कि पेट्रोल-डीजल वाहनों पर भी लागू की जा रही है।

स्विच मोबिलिटी के सीईओ महेश बाबू ने कहा कि सभी कंपनियों को दीर्घकालिक रूप से आरईएम के विकल्पों पर विचार करना होगा। हालांकि, कुछ कंपनियों को इस दिशा में ज्यादा समय लग सकता है। भारत में 2024-25 में रेयर अर्थ मैग्नेट का आयात 87% बढ़ा और इनमें से 93% चीन से आया। इस निर्भरता को कम करने की दिशा में यह तकनीकी प्रगति एक बड़ा कदम है।

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