भारत-रूस रक्षा साझेदारी: 60 साल का अटूट भरोसा

नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच छह दशकों से चला आ रहा रक्षा सहयोग आज भी भारत की सैन्य नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है। मिग-21 से लेकर अत्याधुनिक S-400 और ब्रह्मोस मिसाइल तक, यह साझेदारी केवल हथियारों के लेन-देन से कहीं अधिक है—यह विश्वास, रणनीति और तकनीकी साझेदारी की नींव पर टिकी है।

भारत ने 1962 में मिग-21 विमान से शुरू कर 2021 में S-400 एयर डिफेंस सिस्टम तक, कई महत्वपूर्ण सैन्य सौदे किए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि “रूस ने न केवल भारत को आधुनिक हथियार दिए, बल्कि सैन्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता की राह भी दिखाई।” ब्रह्मोस मिसाइल, T-90 टैंक और AK-203 राइफल जैसी परियोजनाएं इसका प्रमाण हैं। इन हथियारों ने हालिया सैन्य अभियानों में भारत की ताकत और रणनीतिक स्थिति को और भी मजबूत किया है।

रूस से मिला INS विक्रमादित्य और सुखोई-30MKI जैसे प्लेटफॉर्म भारत की थल, वायु और जल शक्ति को संतुलन प्रदान करते हैं। ऐसे समय में जब वैश्विक राजनीति में अस्थिरता बढ़ रही है, भारत और रूस की रणनीतिक साझेदारी दोनों देशों के लिए लाभकारी बनी हुई है। रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि “भारत-रूस रक्षा सहयोग, भारत की विदेश नीति की स्थिरता और बहुपक्षीय संतुलन का प्रतीक है।”

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