मुकेश अंबानी के असफल बिजनेस की अनसुनी कहानियां

मुकेश अंबानी का नाम जब भी आता है, तो सफलता की मिसालें जेहन में उभरती हैं—जैसे जियो, रिलायंस रिटेल, और हालिया कैम्पा कोला रीब्रांडिंग। लेकिन इस चमकदार सफर में कुछ ऐसे भी पड़ाव रहे, जहाँ सफलता नहीं, बल्कि सीखने को मिला। रिलायंस टाइमआउट, रिलायंस ट्रेंड्स के कुछ स्टोर्स, और रिलायंस फ्रेश ऐसे उदाहरण हैं, जहाँ रणनीति और बाजार की पकड़ मजबूत न होने के चलते अंबानी को पीछे हटना पड़ा।

रिलायंस टाइमआउट को 2008 में मल्टी-फॉर्मेट रिटेल मॉडल के रूप में लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को किताबों, संगीत और स्टेशनरी की सुविधा देना था। लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग की लहर और बदलती खपत शैली ने इस फॉर्मेट को अप्रासंगिक बना दिया। 2012 में इसे बंद कर दिया गया। वहीं, रिलायंस ट्रेंड्स को भले ही फैशन रिटेल में पेश किया गया, लेकिन ज़्यादा प्रतिस्पर्धा और ग्राहक व्यवहार में बदलाव के चलते कई स्टोर बंद करने पड़े।

रिलायंस फ्रेश ने शुरुआती दिनों में खुदरा किराना बाजार में उत्साहजनक प्रदर्शन किया, लेकिन लॉजिस्टिक और प्रबंधन चुनौतियों ने इसकी गति रोक दी। इसके बाद इसे रिलायंस रिटेल के बड़े फ्रेमवर्क में समाहित कर पुनः संरचित किया गया। अंबानी की इन असफलताओं से यह स्पष्ट होता है कि भले ही विचार बड़ा हो, बाजार की जमीनी हकीकत को समझे बिना सफलता मुश्किल है। हालांकि, यही असफलताएं उनके वर्तमान विज़न को और अधिक व्यावसायिक दृष्टि देती हैं।

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