भोपाल गौरव दिवस: 226 साल बाद मिली सच्ची आज़ादी

भोपाल, एक जून। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हर साल 1 जून को भोपाल गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह वह दिन है जब 226 वर्षों की नवाबी हुकूमत के बाद शहर ने सच्ची लोकतांत्रिक आज़ादी हासिल की थी। 1947 में देश की स्वतंत्रता के बाद भी भोपाल एक अलग रियासत के रूप में नवाब हमीदुल्लाह खान के नियंत्रण में रहा। जनता के बढ़ते विरोध और विलीनीकरण आंदोलन के चलते आखिरकार 1 जून 1949 को भारत सरकार ने शहर का प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथ में लिया।

जन आंदोलन की शुरुआत 6 जनवरी 1949 को हुई थी, जिसका नेतृत्व रतन कुमार गुप्ता ने किया। आंदोलन के दौरान रायसेन जिले में पुलिस गोलीबारी में चार युवाओं की मौत ने देशभर में हलचल मचा दी। यह घटनाक्रम इतना प्रभावशाली था कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने स्वयं हस्तक्षेप कर नवाब को समझौते के लिए बाध्य किया। 30 अप्रैल को हुए समझौते के तहत 1 जून को भारत सरकार के अधिकारी एनबी बनर्जी ने प्रशासन संभाला और भोपाल गणराज्य का हिस्सा बना।

इस गौरवशाली दिन की स्मृति में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल गौरव दिवस मनाने की परंपरा शुरू की। इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को यह संदेश देना है कि स्वतंत्रता केवल 15 अगस्त 1947 की कहानी नहीं, बल्कि कुछ क्षेत्रों में यह संघर्ष और बलिदान का फल थी। हर साल विभिन्न सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कार्यक्रमों के माध्यम से इस दिन को गर्व और प्रेरणा के साथ मनाया जाता है।

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