भारत की जनसंख्या 146 करोड़ पार, लेकिन चिंता बरकरार

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है, चीन को पीछे छोड़ते हुए। वर्तमान में भारत की जनसंख्या 1,463.9 मिलियन यानी 146 करोड़ से अधिक है। लेकिन इस उपलब्धि के पीछे एक चिंताजनक संकेत भी छुपा है—देश की प्रजनन दर अब प्रतिस्थापन दर से नीचे जा चुकी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में प्रति महिला औसत जन्म दर 1.9 तक गिर गई है, जबकि एक स्थिर जनसंख्या बनाए रखने के लिए यह दर 2.1 होनी चाहिए।

हालांकि जनसंख्या वृद्धि की रफ्तार धीमी हो रही है, लेकिन फिलहाल भारत की जनसंख्या संरचना युवा प्रधान है। 0 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के लोग कुल जनसंख्या का 24% हैं, वहीं 10 से 24 आयु वर्ग के लोग 26% हैं। इसके अलावा, देश की 68% जनसंख्या कार्यशील है, जो आने वाले वर्षों में आर्थिक अवसरों की संभावनाएं बढ़ा सकती है। फिलहाल देश में बुज़ुर्ग जनसंख्या मात्र 7% है, लेकिन अगले दशकों में इसमें इज़ाफा होने की संभावना है।

विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के चलते प्रजनन दर में गिरावट आई है। 1960 में जहां एक महिला औसतन छह बच्चों को जन्म देती थीं, आज यह संख्या घटकर दो से भी कम हो गई है। भारत में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की प्रतिनिधि, आंद्रेया एम. उजनार ने कहा, “अब महिलाएं निर्णय लेने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं, जो जनसांख्यिकीय बदलाव का एक अहम कारण है।” रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत की जनसंख्या अगले 40 वर्षों तक बढ़ती रहेगी और 1.7 अरब तक पहुंचने के बाद धीरे-धीरे घटने लगेगी।

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