तमिलनाडु: कुलपतियों का बहिष्कार, राज्यपाल के सम्मेलन में खटास

तमिलनाडु के सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने ऊटी में राज्यपाल आरएन रवि द्वारा आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन का पूर्ण बहिष्कार किया। यह सम्मेलन, जिसमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि थे, उच्च शिक्षा सुधारों पर चर्चा के लिए था। कुलपति बहिष्कार सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद हुआ, जिसमें तमिलनाडु सरकार को कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार दिया गया, जिसने राज्यपाल की शक्तियों को सीमित कर दिया। तिरुनेलवेली के मनोनमनियाम विश्वविद्यालय के कुलपति चंद्रशेखर, जो सम्मेलन में जाने वाले थे, ने भी एकजुटता दिखाते हुए वापसी कर ली।

यह कदम राज्यपाल रवि के खिलाफ सीधा विरोध दर्शाता है, खासकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद, जिसमें उन्होंने तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित 10 विधेयकों को रोकने को असंवैधानिक ठहराया था। इनमें एक विधेयक राज्य विश्वविद्यालयों के चांसलर के रूप में मुख्यमंत्री को नियुक्त करने का था। डीएमके और उसके सहयोगियों ने राज्यपाल पर संवैधानिक भूमिका से बाहर जाकर सरकार के साथ टकराव करने का आरोप लगाया। राजनीतिक विश्लेषक प्रिया नाथन कहती हैं, “कुलपति बहिष्कार सरकार और राजभवन के बीच गहराते तनाव का प्रतीक है।”

उपराष्ट्रपति धनखड़ की उपस्थिति ने इस विवाद को और जटिल बना दिया, क्योंकि उनकी केंद्र सरकार के साथ निकटता चर्चा में रही है। राजभवन ने दावा किया कि राज्यपाल अभी भी चांसलर बने रहेंगे, जिससे भ्रम बढ़ा। यह घटना तमिलनाडु में केंद्र-राज्य संबंधों में नई चुनौतियों को उजागर करती है, और कुलपति बहिष्कार ने राज्य की स्वायत्तता की मांग को और मजबूत किया है।

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