लेबनान में अमेरिकी दबाव नाकाम, सेना ने हिजबुल्लाह पर कार्रवाई से किया इनकार

लेबनान में हिजबुल्लाह को निशस्त्र करने की अमेरिकी कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है। अमेरिकी प्रतिनिधि थॉमस बैरक और मॉर्गन ऑर्टेगस ने हाल ही में बेरूत दौरे के दौरान शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बनाने की कोशिश की। लेकिन सेना प्रमुख जनरल रोडोल्फ हेकल ने साफ कर दिया कि हिजबुल्लाह के खिलाफ कोई भी कदम देश की स्थिरता को खतरे में डाल सकता है और सेना ऐसा कदम नहीं उठाएगी।

सरकार भी दुविधा में फँसी है। प्रधानमंत्री नवाफ सलाम की सरकार ने अगले साल तक हिजबुल्लाह को निशस्त्र करने का रोडमैप बनाया था, लेकिन अब उसे जनता और शिया समुदाय का कड़ा विरोध झेलना पड़ रहा है। समुदाय ने घोषणा की है कि वे अपने हथियारों की रक्षा हर कीमत पर करेंगे। साथ ही, लेबनानी अधिकारियों ने अमेरिकी दूतों को स्पष्ट किया कि यदि कोई कदम उठाना है तो इजराइल को भी समानांतर कार्रवाई करनी होगी।

इस बीच, जाफरी मुफ्ती अहमद कबालान ने राष्ट्रपति जोसेफ औन को चेतावनी दी कि हिजबुल्लाह को कमजोर करने की बयानबाजी देश को और गहरे संकट में धकेल सकती है। उन्होंने कहा कि हिजबुल्लाह के हथियार सेना के साथ मिलकर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी हैं। दूसरी ओर, इजराइल ने दक्षिणी लेबनान में अपनी चौकियों को मजबूत किया है और पीछे हटने से इनकार कर दिया है। ऐसे में विश्लेषक मानते हैं कि अमेरिका की रणनीति न केवल लेबनान में अविश्वास बढ़ा रही है बल्कि क्षेत्रीय तनाव भी गहराता जा रहा है।

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