ईरान-इराक रक्षा समझौते से अमेरिका में बढ़ी बेचैनी

ईरान और इराक ने 11 अगस्त को 1,400 किलोमीटर लंबी साझा सीमा की सुरक्षा मजबूत करने के लिए एक नया रक्षा समझौता किया है। बगदाद में इराक के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कासिम अल आराजी और ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के महासचिव अली लारिजानी की मौजूदगी में हुए इस समझौते पर प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल सुदानी भी शामिल थे। यह डील मार्च 2023 के उस करार पर आधारित है जिसमें दोनों देशों ने सीमा नियंत्रण कड़ा करने पर सहमति दी थी।

ईरान को आशंका है कि अमेरिका या इज़राइल के साथ तनाव बढ़ने पर कुर्द लड़ाके सीमा पार घुसपैठ कर सकते हैं। हाल ही में इराकी कुर्द प्रशासन ने ईरानी कुर्द विपक्षी समूहों पर दबाव डालकर उनके लड़ाकों को कैंपों में भेजा, जबकि कुछ ने ईरान लौटकर गुरिल्ला संघर्ष जारी रखने का फैसला किया। तेहरान का दावा है कि ये समूह अशांति फैलाते हैं और मोसाद से जुड़े हैं, हालांकि वे इसे नकारते हैं।

अमेरिका को यह समझौता खटक रहा है, क्योंकि उसे लगता है कि इससे इराक में ईरान का प्रभाव और बढ़ जाएगा। वॉशिंगटन की चिंता है कि ईरान-समर्थित मिलिशिया के पास मीडियम-रेंज मिसाइल और ड्रोन हैं, जो इज़राइल और अमेरिकी ठिकानों को निशाना बना सकते हैं। साथ ही, अमेरिका चाहता है कि इराक में कार्यरत पीएमएफ जैसे अर्धसैनिक संगठनों को सरकारी नियंत्रण में लाया जाए, ताकि पश्चिम एशिया में अस्थिरता को रोका जा सके।

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