भ्रष्टाचार कानून पर बवाल, जेलेंस्की की साख खतरे में

यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई प्रमुख शहरों में सोमवार को हजारों लोग सड़कों पर उतर आए, जब राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों की स्वतंत्रता सीमित करने वाला विवादित कानून पास किया। इस नए कानून के तहत नेशनल एंटी करप्शन ब्यूरो और स्पेशल एंटी करप्शन प्रॉसीक्यूटर ऑफिस अब सीधे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त अटॉर्नी जनरल के अधीन आ गए हैं। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि इससे इन संस्थाओं की निष्पक्षता खत्म हो जाएगी।

राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इस कदम को रूस की आंतरिक घुसपैठ को रोकने का उपाय बताया है। उन्होंने कहा, “रूसी प्रभाव के खिलाफ लड़ाई में यह संरचनात्मक बदलाव आवश्यक है।” मगर आलोचक इसे एक साजिश करार दे रहे हैं, जिसके पीछे राष्ट्रपति के करीबियों पर चल रही जांचों को रोकने की मंशा बताई जा रही है। खासतौर पर पूर्व प्रधानमंत्री ओलेक्सी चेनिर्शोव जैसे नेताओं के नाम चर्चा में हैं, जिन पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।

हालांकि संसद में ‘सर्वेंट ऑफ द पीपल’ पार्टी के बहुमत और युद्धकाल के कारण जेलेंस्की की सत्ता सुरक्षित मानी जा रही है, लेकिन जनता का बढ़ता आक्रोश उनकी साख पर गहरा असर डाल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि विरोध थमा नहीं, तो यूरोपीय संघ में यूक्रेन के समावेश की प्रक्रिया भी प्रभावित हो सकती है। दबाव को देखते हुए जेलेंस्की ने कानून में संशोधन की बात कही है, लेकिन क्या यह भरोसे की बहाली कर पाएगा—इस पर संदेह बना हुआ है।

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