डिजिटल जनगणना में डेटा सुरक्षा बनी सबसे बड़ी चुनौती

नई दिल्ली, 16 जून 2025 — भारत की डिजिटल जनगणना 2026 की शुरुआत से पहले केंद्र सरकार के सामने सबसे बड़ा सवाल है—क्या आम जनता की संवेदनशील जानकारी पूरी तरह सुरक्षित है? जनगणना का यह दौर पूरी तरह डिजिटल माध्यम से संचालित होगा, जिसमें राज्यस्तरीय अधिकारी ऐप के माध्यम से आंकड़े अपलोड करेंगे। यह डेटा सीधे दिल्ली स्थित सेंट्रल सर्वर तक जाएगा, जिससे डेटा लीक या गलत जानकारी के प्रवेश की आशंका लगातार बनी हुई है।

इस संवेदनशील स्थिति को देखते हुए गृह मंत्रालय ने केंद्रीय स्तर पर लगातार उच्च स्तरीय बैठकें शुरू कर दी हैं। रविवार को गृह मंत्री अमित शाह ने जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण के साथ विशेष बैठक की। सोमवार को जनगणना संबंधी गजट अधिसूचना जारी की जाएगी, जिसमें सभी प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश शामिल होंगे। सरकार की कोशिश है कि हर स्तर पर जानकारी की पुष्टि हो, ताकि न तो गलत आंकड़े सर्वर में जाएं और न ही डेटा की गोपनीयता से कोई समझौता हो।

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “हमारा उद्देश्य सिर्फ आंकड़े इकट्ठा करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि देश के नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रहे।” इसके अलावा, ‘अन्य’ जातियों और धर्मांतरण जैसे मुद्दों को लेकर सरकार के सामने नीतिगत प्रश्न भी खड़े हो गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि डेटा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दिए बिना डिजिटल जनगणना की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को कायम रखना मुश्किल होगा।

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