चिनाब ब्रिज: पाकिस्तान पर तमाचा, विकास का प्रतीक

जम्मू-कश्मीर में बना चिनाब ब्रिज अब केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के विकासवादी दृष्टिकोण और पाकिस्तान की विफल साजिशों पर करारा तमाचा बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को इस ब्रिज का उद्घाटन करते हुए आतंकवाद के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “आज से ठीक एक महीने पहले पाकिस्तान को उसकी जमीन पर ही जवाब मिला था, अब वह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम भी सुनकर कांप जाएगा।”

चिनाब ब्रिज, जो एफिल टॉवर से भी ऊंचा है, अब कश्मीर को न केवल देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है, बल्कि यह एक नई आर्थिक और पर्यटन धुरी के रूप में उभरने जा रहा है। प्रधानमंत्री ने इसे “दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज” बताते हुए कहा कि यह पुल कश्मीर के युवाओं की उम्मीदों और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में उठाया गया एक मजबूत कदम है। वहीं, उमर अब्दुल्ला ने भी पीएम की मौजूदगी में पुल की सराहना करते हुए राज्य के दर्जे की शालीन मांग दोहराई, जिस पर मोदी ने मंच से ताली बजाकर सकारात्मक संकेत दिया।

राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला की केंद्र से बनी सियासी केमिस्ट्री इस विकास को गति दे रही है। उमर न तो अतिवादी बयानों में पड़ते हैं और न ही टकराव की राजनीति में। यही वजह है कि केंद्र उन्हें एक विश्वसनीय क्षेत्रीय नेता के रूप में देखता है। चिनाब ब्रिज सिर्फ एक पुल नहीं, बल्कि कश्मीर में स्थायित्व, समरसता और विकास का प्रतीक बन चुका है—और पाकिस्तान की नापाक चालों को मुँहतोड़ जवाब भी।

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