सरकारी टेंडर में विदेशी कंपनियों को मिलेगा मौका

भारत सरकार ने अपने सरकारी टेंडर बाजार को विदेशी कंपनियों, विशेष रूप से अमेरिकी फर्मों के लिए आंशिक रूप से खोलने का संकेत दिया है। सूत्रों के मुताबिक, यह निर्णय अमेरिका के साथ सीमित व्यापार समझौते के तहत लिया जा रहा है, जिसे जुलाई की शुरुआत तक अंतिम रूप देने की कोशिश की जा रही है। इस कदम से 50 अरब डॉलर से अधिक की केंद्रीय एजेंसियों की निविदाएं विदेशी कंपनियों के लिए खुल सकती हैं।

यह नीति बदलाव हाल ही में यूके के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते की तर्ज पर लाया जा रहा है, जिसके तहत ब्रिटिश कंपनियों को भारत के कुछ सरकारी टेंडर में भागीदारी की अनुमति दी गई थी। हालांकि राज्य और नगर निगम स्तर के टेंडर अभी इस दायरे से बाहर रखे गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव चरणबद्ध और पारस्परिक आधार पर लागू होगा, ताकि भारतीय कंपनियों को भी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अवसर मिल सकें।

व्यापार मंत्री पीयूष गोयल की अमेरिका यात्रा के दौरान हुई वार्ताओं के बाद इस प्रस्ताव को गति मिली है। हालांकि, छोटे और मझोले भारतीय उद्यमों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि 25% सरकारी अनुबंध इन व्यवसायों के लिए आरक्षित रहेंगे। FISME के महासचिव अनिल भारद्वाज ने कहा, “यह निर्णय भारतीय कंपनियों के लिए वैश्विक टेंडरिंग के नए रास्ते खोलेगा, बशर्ते यह पारस्परिक और नियंत्रित तरीके से लागू हो।”

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