भारत के व्यापार पर मंडरा रहा है युद्ध का साया

नई दिल्ली: ईरान और इजराइल के बीच जारी संघर्ष का प्रभाव भारत के विदेशी व्यापार पर भी पड़ सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए वाणिज्य मंत्रालय ने शुक्रवार को एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में शिपिंग कंपनियों, निर्यातकों, कंटेनर ऑपरेटरों और मंत्रालय के अन्य विभागों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। बैठक का उद्देश्य इस संघर्ष के कारण उत्पन्न चुनौतियों की समीक्षा करना और संभावित समाधानों पर चर्चा करना है।

निर्यातकों को आशंका है कि यदि युद्ध और बढ़ा तो इससे हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य व रेड सी मार्ग पर असर पड़ेगा, जिससे हवाई और समुद्री मालभाड़े की दरें बढ़ सकती हैं। GTRI की एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्ग में अवरोध से तेल, शिपिंग और बीमा की लागत में वृद्धि संभव है, जिससे भारत में महंगाई और रुपये पर दबाव बढ़ सकता है। हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य से भारत का दो-तिहाई कच्चा तेल और आधे से अधिक एलएनजी आयात होता है, जिस पर संकट की स्थिति बनती जा रही है।

रेड सी मार्ग से भारत का 80% यूरोपीय और अमेरिकी व्यापार प्रभावित हो सकता है। इजराइल-हूती संघर्ष के चलते इस क्षेत्र में अस्थिरता और बढ़ी है, जिससे भारत की 30% निर्यात खेप को खतरा है। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, भारत ने 2024-25 में कुल निर्यात में 6% वृद्धि दर्ज की है, पर मौजूदा संघर्ष वैश्विक व्यापार में 0.2% गिरावट ला सकता है। ऐसे में मंत्रालय की यह बैठक व्यापारिक रणनीति को लेकर निर्णायक मानी जा रही है।

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