ऑपरेशन मिडनाइट हैमर: यूरेनियम रहस्य पर सवाल

अमेरिका के B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स द्वारा अंजाम दिए गए ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ ने ईरान के फोर्दो, नतांज और इस्फहान स्थित न्यूक्लियर ठिकानों पर भयंकर हमला किया, लेकिन मिशन की सफलता पर अब सवाल उठ रहे हैं। 13,600 किलो वजनी GBU-57 बंकर बस्टर बमों से किए गए इस हमले में भूमिगत यूरेनियम प्रोसेसिंग यूनिट को नष्ट किया गया। व्हाइटमैन एयरबेस से उड़ान भरने वाले सात B-2 बॉम्बर्स ने 37 घंटे की नॉन-स्टॉप उड़ान में करीब 23,000 किलोमीटर की दूरी तय की। पायलटों ने मिशन से पहले सिम्युलेटर में 24 घंटे की तैयारी की थी, ताकि वास्तविक परिस्थिति में कोई चूक न हो।

हालांकि सैटेलाइट इमेज में भारी तबाही के संकेत मिले हैं, TV9 की इन्वेस्टिगेशन के अनुसार 400 किलोग्राम एनरिच्ड यूरेनियम अब भी गायब है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह यूरेनियम हमले से पहले ही सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया था। यह ठिकाना 5,000 फीट ऊंचे पहाड़ की तलहटी में 328 फीट गहराई पर बना हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, ईरान को हमले की भनक पहले से थी और उसने यूरेनियम को बचाने की पूरी तैयारी कर रखी थी।

अब सवाल यह उठता है कि क्या ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ वास्तव में 100 प्रतिशत सफल रहा? अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि केवल B-2 जैसे उन्नत बॉम्बर्स ही इस तरह के मिशन को अंजाम दे सकते थे। मगर विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक यूरेनियम का वास्तविक स्थान और उसकी स्थिति साफ़ नहीं होती, मिशन की सफलता पर संदेह बना रहेगा। वहीं इजराइल जैसे देशों के लिए यह खतरे की नई चेतावनी साबित हो सकती है।

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