इस्फहान पर बेअसर रहा अमेरिका का हमला

अमेरिका के सबसे ताकतवर हथियार भी ईरान के इस्फहान न्यूक्लियर ठिकाने को नुकसान नहीं पहुंचा सके। हालिया सैन्य कार्रवाई में फोर्डो और नतांज के साथ इस जगह को भी निशाना बनाया गया, लेकिन खुफिया सूत्रों की मानें तो इस्फहान लगभग अछूता रहा। इस ठिकाने को ईरान का यूरेनियम खजाना कहा जाता है, जो उसके परमाणु कार्यक्रम की रीढ़ माना जाता है।

पेंटागन ने स्वीकार किया कि इस्फहान की गहराई और संरचना ऐसी है कि पारंपरिक बंकर-बस्टर बम भी वहां तक नहीं पहुंच सकते। यही कारण था कि अमेरिका ने टॉमहॉक मिसाइलों से सतही हमला किया, लेकिन विश्लेषकों के अनुसार, इसका असर केवल ऊपरी ढांचे तक ही सीमित रहा। न्यूक्लियर सामग्री अंदर ही सुरक्षित रही, जिससे ईरान की परमाणु क्षमता पर निर्णायक चोट नहीं पहुंची।

जानकारों का मानना है कि अमेरिका के हमले से पहले ही ईरान ने संभवतः संवर्धित यूरेनियम के कुछ हिस्से को स्थानांतरित कर दिया था। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के पास इस बारे में पक्की जानकारी नहीं है कि फिलहाल कितना यूरेनियम कहां मौजूद है। इससे यह साफ हो गया है कि इस्फहान पर हमला भले ही प्रतीकात्मक रहा हो, लेकिन ईरान की परमाणु शक्ति अब भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।

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