ऑस्ट्रेलिया चुनाव: महंगाई और चीन पर टिकी नजर

ऑस्ट्रेलिया में 3 मई को होने वाले आम चुनाव की गूंज वैश्विक मंच पर सुनाई दे रही है। करीब 1.8 करोड़ मतदाता यह तय करेंगे कि क्या एंथनी एल्बनीज की लेबर पार्टी सत्ता में बनी रहेगी या पीटर डटन की लिबरल पार्टी सत्ता हासिल करेगी। इस ऑस्ट्रेलिया चुनाव में महंगाई, आवास संकट और चीन से रिश्तों जैसे मुद्दे मतदाताओं के मन को मथ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है, “यह चुनाव सिर्फ नीतियों का नहीं, बल्कि आम लोगों की जिंदगी की चुनौतियों का आकलन है,” जैसा कि ऑस्ट्रेलियाई नेशनल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर जिल शेपर्ड ने बताया।

महंगाई ने ऑस्ट्रेलिया में आम जनता की कमर तोड़ दी है। 2023 में अंडे की कीमत 11% और किराया 8.1% बढ़ा, जबकि ब्याज दरें 0.35% से बढ़कर 4.35% हो गईं। आवास संकट भी गहरा गया है, क्योंकि कई निर्माण कंपनियां बंद हो चुकी हैं। लेबर पार्टी ने 1.2 मिलियन घर बनाने का वादा किया, लेकिन प्रगति धीमी है। दूसरी ओर, लिबरल पार्टी आव्रजन घटाने और रिटायरमेंट फंड से घर खरीदने की सुविधा देने की बात कह रही है। हालांकि, अर्थशास्त्री चेताते हैं कि इससे कीमतें और बढ़ सकती हैं। ऊर्जा नीति भी चर्चा में है, जहां लेबर नवीकरणीय स्रोतों पर जोर दे रही है, जबकि लिबरल न्यूक्लियर प्लांट्स का प्रस्ताव लाई है।

चीन के साथ रिश्ते भी ऑस्ट्रेलिया चुनाव का अहम मुद्दा हैं। लेबर ने व्यापारिक संबंधों में सुधार किया, लेकिन डटन सख्त रुख की वकालत करते हैं। संसद में 150 निचली और 40 सीनेट सीटों के लिए मतदान होगा। लेबर की 78 सीटों के मुकाबले गठबंधन के पास 57 हैं। यदि लेबर दो सीटें भी हारती है, तो बहुमत खतरे में पड़ सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि यह ऑस्ट्रेलिया चुनाव एक कांटे की टक्कर साबित होगा, जिसमें छोटे दल और निर्दलीय निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

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