भारत में बनेगा Su-57E, बढ़ेगी वायुसेना की ताकत

नई दिल्ली, 5 जुलाई: भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग को नई दिशा देने वाला एक अहम प्रस्ताव सामने आया है। रूसी रक्षा कंपनी रोस्टेक और सुखोई ने भारत को Su-57E स्टेल्थ फाइटर जेट की तकनीक ट्रांसफर करने और इन्हें HAL के नासिक प्लांट में बनाने की पेशकश की है। यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब भारतीय वायुसेना (IAF) को स्क्वाड्रन की कमी का सामना करना पड़ रहा है। प्रस्ताव में Su-35M फाइटर जेट की सीधी सप्लाई का विकल्प भी शामिल है, जो IAF के MRFA प्रोजेक्ट के तहत 114 लड़ाकू विमानों की आवश्यकता को पूरा कर सकता है।

इस रणनीतिक डील के तहत पहले चरण में 20 से 30 Su-57E जेट रूस से सीधे मिलेंगे, इसके बाद अगले चार वर्षों में इनका निर्माण भारत में ही शुरू होगा। स्थानीय उत्पादन में 40 से 60 प्रतिशत तक स्वदेशी भागीदारी होगी, जिससे भारत को मिसाइल, रडार और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम जैसे स्वदेशी हथियार इन जेट्स में लगाने का मौका मिलेगा। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल IAF को अत्याधुनिक क्षमता मिलेगी, बल्कि स्वदेशी फिफ्थ जेनरेशन फाइटर प्रोग्राम AMCA को भी तकनीकी मदद मिलेगी।

Su-35M की कीमत राफेल और F-35A जैसे जेट्स से कम है, पर इसकी मारक क्षमता और तकनीकी समानता Su-30MKI से इसे भारतीय वायुसेना के लिए एक सहज विकल्प बनाती है। हालांकि, अमेरिका के CAATSA कानून और रूस से पुरानी आपूर्ति की चुनौतियों को लेकर सतर्कता जरूरी है। फिर भी, यह प्रस्ताव भारत को आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण की ओर बड़ा कदम बढ़ाने का अवसर देता है।

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