वॉरेन बफे की सेलिंग तकनीक से सीखें निवेश का फॉर्मूला

भारत में तेजी से बढ़ते शेयर बाजार में निवेशकों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन लाभ कमाने की समझ अभी भी अधूरी है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के अनुसार, करीब 90 प्रतिशत खुदरा निवेशक घाटे में रहते हैं। इसका एक बड़ा कारण है—बिना रणनीति के स्टॉक्स को बेचना। ऐसे में वॉरेन बफे की सेलिंग स्ट्रैटेजी भारतीय निवेशकों के लिए एक मार्गदर्शक बन सकती है।

बफे का मानना है कि निवेश से पहले कंपनी की मुनाफाखोरी, मैनेजमेंट की गुणवत्ता और बाजार में उसकी स्थिति की गहराई से जांच जरूरी है। अगर कोई कंपनी लगातार घाटे में चल रही है या उसकी बाजार हिस्सेदारी घट रही है, तो स्टॉक बेचने का समय आ चुका है। साथ ही, जब किसी स्टॉक की कीमत उसकी असली वैल्यू से ज्यादा हो जाए, तो बफे सलाह देते हैं कि उसे बेच देना चाहिए। इसके लिए प्राइस-टू-इर्निंग रेशियो और कैश फ्लो जैसे टूल्स का उपयोग करें।

बाजार की गिरावट में घबराना नहीं, बल्कि धैर्य रखना बफे की रणनीति की अहम बात है। उनका स्पष्ट कहना है, “अगर आप किसी स्टॉक को 10 साल रखने के लिए तैयार नहीं हैं, तो उसे 10 मिनट के लिए भी न खरीदें।” भारतीय निवेशकों को चाहिए कि वे बेहतर विकल्पों की तलाश करें, स्टॉक्स का मूल्यांकन समझदारी से करें और बाजार की उथल-पुथल से प्रभावित हुए बिना, दीर्घकालिक सोच से निर्णय लें।

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