मोदी की धर्मशक्ति-राष्ट्रशक्ति रणनीति से सियासी शिकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बल पर सख्त रुख अपनाते हुए राष्ट्रवाद की नई लहर पैदा की है। इसके बाद राजस्थान के बीकानेर दौरे में उन्होंने करणी माता मंदिर में पूजा-अर्चना कर भारत की आध्यात्मिक शक्ति, यानी धर्मशक्ति, को राष्ट्रशक्ति से जोड़ने की कोशिश की। इसके तुरंत बाद उन्होंने नाल एयरबेस में सैनिकों से मुलाकात कर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया कि आतंकवाद की कोई भी हरकत अब सहन नहीं की जाएगी।

पीएम मोदी ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि सिंदूर जब बारूद बनता है, तो दुश्मन की कोई भी चाल नाकाम हो जाती है। उन्होंने कहा, “मोदी का दिमाग ठंडा है, पर नसों में अब गर्म सिंदूर बह रहा है।” इससे पहले आदमपुर और अब भुज एयरबेस जैसे सामरिक ठिकानों पर जाकर वे न केवल सैनिकों का मनोबल बढ़ा रहे हैं, बल्कि पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ अपने तेवर भी दिखा रहे हैं। करणी माता और अब आगामी आशापुरा मंदिर दर्शन इस संदेश को और मजबूत कर रहे हैं कि भारत की धर्मशक्ति भी उसकी रणनीतिक शक्ति का हिस्सा है।

भविष्य में गुजरात के कच्छ और भुज से भी राष्ट्रवादी एजेंडा आगे बढ़ेगा, जहां से पाकिस्तान पहले भी ड्रोन से हमला कर चुका है। ऐसे में मोदी न केवल सुरक्षा मोर्चे पर मजबूत दिख रहे हैं, बल्कि धार्मिक आस्था के माध्यम से जनभावनाओं को भी साध रहे हैं। एक तीर से कई निशाने साधने की उनकी यह रणनीति 2024 के चुनावी समीकरणों में बीजेपी को लाभ पहुंचा सकती है।

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