ईपीएफओ 3.0: गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा की नई राह

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया ने हाल ही में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के डिजिटल उन्नयन, संस्करण 3.0, की घोषणा की, जो मई-जून 2025 तक शुरू होगा। यह पहल 9 करोड़ से अधिक सदस्यों को ऑटो-क्लेम सेटलमेंट, डिजिटल रिफॉर्मेशन और एटीएम से फंड निकासी जैसी सुविधाएं प्रदान करेगी। मंडाविया ने कहा, “नया प्लेटफॉर्म जटिल प्रक्रियाओं को खत्म करेगा, जिससे क्लेम तुरंत खातों में पहुंचेंगे।” इसके साथ ही, 27 लाख करोड़ रुपये के फंड पर 8.25% ब्याज दर के साथ ईपीएफओ सामाजिक सुरक्षा को और मजबूत करेगा। यह कदम करोड़ों कर्मचारियों के लिए वित्तीय स्थिरता की दिशा में एक बड़ा बदलाव है।
ईपीएफओ के साथ-साथ, गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया जा रहा है। 15 अप्रैल 2025 को श्रम मंत्रालय और स्विगी ने राष्ट्रीय कैरियर सर्विस (एनसीएस) पोर्टल के साथ एक समझौता किया, जिसका लक्ष्य अगले दो-तीन वर्षों में 12 लाख से अधिक रोजगार अवसर सृजित करना है। स्विगी के ऑपरेशंस इंचार्ज सलभ श्रीवास्तव ने कहा, “एनसीएस के साथ साझेदारी से हम कुशल श्रमिकों तक तेजी से पहुंच सकेंगे।” यह साझेदारी गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा और रोजगार के अवसरों से जोड़ेगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

आयुष्मान भारत योजना के तहत कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के लाभार्थियों को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने की योजना भी शुरू की गई है। वर्तमान में 18 करोड़ लोगों को 165 अस्पतालों और 1,500 से अधिक औषधालयों के माध्यम से उपचार मिल रहा है। मंडाविया ने बताया कि ईपीएफओ के उन्नत शिकायत निवारण तंत्र ने समस्याओं को आधा कर दिया है। ईपीएफओ 3.0 और स्विगी-एनसीएस साझेदारी जैसे कदम गिग वर्कर्स और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा का नया युग शुरू करेंगे।

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