‘हथियार व्यापार’ से चलता है नॉर्थ कोरिया का खजाना

उत्तर कोरिया, जो मिसाइल परीक्षण और सैन्य शक्ति के लिए जाना जाता है, अपनी आर्थिक मजबूती के लिए मुख्यतः हथियार व्यापार और खनिज निर्यात पर निर्भर है। हाल ही में वानसन में एक लक्ज़री रिजॉर्ट के उद्घाटन के साथ देश ने पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश की है, लेकिन उसकी असली कमाई का जरिया कहीं और है। प्रतिबंधों से जूझते इस देश की आय का सबसे बड़ा स्रोत सैन्य औद्योगिक ढांचा और छिपी हुई वैश्विक “शैडो इकोनॉमी” है।

हथियार व्यापार उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। रिपोर्टों के मुताबिक, यह देश ईरान और अफ्रीकी देशों को हथियार बेचने के लिए जाना जाता है। यहां तक कि 2022 में उसने अपनी जीडीपी का 33% हिस्सा सेना पर खर्च किया। मिसाइल तकनीक का निर्यात, खासतौर पर बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक क्षमताओं वाला हथियार सिस्टम, देश को वैश्विक हथियार बाजार में एक अदृश्य खिलाड़ी बनाता है।

खनिज संसाधनों की बात करें तो यहां से कोयला, सोना, लौह अयस्क और दुर्लभ खनिजों का निर्यात होता है। इसके अतिरिक्त, देश मछली, कपड़े और कुछ कृषि उत्पादों का भी निर्यात करता है। चीन और रूस उसके सबसे बड़े आर्थिक साझेदार हैं, जबकि भारत के साथ उसके राजनयिक संबंध स्थिर हैं। हाल में भारतीय दूतावास का प्योंगयांग में पुनः संचालन इस ओर इशारा करता है कि भारत भी रणनीतिक रूप से इस रहस्यमयी राष्ट्र से संबंध बनाए रखना चाहता है।

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