सैफ की विरासत पर मंडरा रहा है ‘शत्रु संपत्ति’ का खतरा

बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान की 15,000 करोड़ रुपये की पारिवारिक संपत्ति एक बार फिर कानूनी विवादों में उलझ गई है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 30 जून को सैफ, उनकी मां शर्मिला टैगोर और बहनों की याचिका को खारिज करते हुए निचली अदालत के वर्ष 2000 के फैसले को पलट दिया, जिसमें उन्हें भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की संपत्ति का वारिस माना गया था। कोर्ट ने मामला दोबारा सुनवाई के लिए निचली अदालत में भेज दिया है, जिससे इस लंबे विरासत विवाद ने फिर रफ्तार पकड़ ली है।

इस कानूनी लड़ाई के केंद्र में ‘शत्रु संपत्ति’ कानून है, जो इस मामले को और पेचीदा बना रहा है। नवाब की बड़ी बेटी अबीदा सुल्तान के पाकिस्तान की नागरिकता लेने के चलते उनके हिस्से की संपत्ति को 2014 में शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया। इस अधिनियम के तहत भारत सरकार को ऐसी संपत्तियों पर पूर्ण अधिकार मिल जाता है, और भारतीय नागरिक होने के बावजूद सैफ जैसे वंशजों का दावा मान्य नहीं माना जाता। हाईकोर्ट द्वारा दिसंबर 2024 में स्थगन आदेश हटाए जाने के बाद, अब भोपाल प्रशासन इन संपत्तियों पर नियंत्रण की तैयारी कर रहा है।

इनमें नूर-उस-सबाह पैलेस, फ्लैग स्टाफ हाउस और कोहे-फिजा जैसी प्रतिष्ठित संपत्तियां शामिल हैं, जिनका केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि गहरा भावनात्मक महत्व भी है। सैफ को ये संपत्ति उनकी दादी साजिदा सुल्तान के जरिए मिली थीं, जिन्हें 1962 में नवाब की कानूनी वारिस घोषित किया गया था। लेकिन 2017 में शत्रु संपत्ति अधिनियम में हुए संशोधन ने उनकी दावेदारी को चुनौती के घेरे में ला खड़ा किया है। अब देखना होगा कि यह मामला भारत के सबसे बड़े विरासत विवादों में से एक बनकर किस मोड़ पर पहुंचता है।

 

 

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