रोजगार योजना से मोदी का बड़ा दांव बिहार में

केंद्र सरकार ने मंगलवार को ‘एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव (ELI) स्कीम’ को मंजूरी देकर बेरोजगारी की चुनौती से निपटने के लिए बड़ा कदम उठाया है। यह योजना खासकर उन युवाओं के लिए तैयार की गई है जो पहली बार नौकरी में प्रवेश कर रहे हैं। अगले दो वर्षों में 3.5 करोड़ रोजगार सृजन का लक्ष्य तय किया गया है, जिसमें से दो करोड़ से अधिक नौकरियां पहली बार जॉब जॉइन कर रहे युवाओं को मिलेंगी। इस योजना के लिए सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है।

योजना के तहत पहली बार नौकरी करने वालों को 15,000 रुपये तक की प्रोत्साहन राशि दो किस्तों में दी जाएगी। इसके अलावा कंपनियों को भी नए कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए प्रति कर्मचारी 3,000 रुपये प्रति माह सब्सिडी दी जाएगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, इसका फोकस विशेष रूप से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर है, जिससे दीर्घकालिक रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। इससे न केवल नौकरियों की संख्या बढ़ेगी बल्कि निजी क्षेत्र में भी नियुक्तियों को लेकर नई ऊर्जा दिखाई दे सकती है।

विश्लेषकों का मानना है कि बिहार जैसे राज्यों में जहां बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है, वहां यह योजना सियासी समीकरणों को बदलने की क्षमता रखती है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इस योजना की घोषणा को विपक्ष की रणनीति को जवाब देने के रूप में देखा जा रहा है। 2020 के चुनावों में रोजगार ही निर्णायक मुद्दा बना था, और 2025 में भी यही समीकरण दोहराए जाने की आशंका है। ऐसे में मोदी सरकार की यह रणनीति केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी एक मास्टरस्ट्रोक मानी जा रही है।

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