सिंधु जल संधि पर सरकार का नया अभियान शुरू

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सिंधु जल संधि को लेकर बड़ा जनजागरण अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य जनता को इस समझौते के स्थगन से जुड़े लाभों की जानकारी देना है। इस अभियान की शुरुआत जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से हो रही है—वे राज्य जो भविष्य में नदियों के जल उपयोग में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव जैसे वरिष्ठ नेता सीधे लोगों से संवाद कर रहे हैं। वे सरल भाषा में समझा रहे हैं कि सिंधु जल संधि के चलते भारत के किसानों को दशकों तक पानी से वंचित रहना पड़ा।

सरकार का मानना है कि 1960 में कांग्रेस द्वारा किया गया यह समझौता भारत के हितों के विरुद्ध था, और इससे न केवल भारत का पानी पाकिस्तान को मिला, बल्कि आर्थिक नुकसान भी हुआ। अब सरकार चाहती है कि आम लोग इस फैसले के पक्ष में बोलें और समझें कि सिंधु संधि स्थगन एक राष्ट्रहित में उठाया गया कदम है। इस संदेश को व्यापक बनाने के लिए हिंदी, अंग्रेजी और पंजाबी समेत कई भाषाओं में बुकलेट्स भी तैयार की जा रही हैं।

सरकार सिंधु नदी के जल का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक रणनीति पर काम कर रही है। 160 किलोमीटर लंबी नई नहर बनाकर चेनाब को सतलुज, व्यास और रावी से जोड़ा जाएगा, जिससे पानी राजस्थान के श्रीगंगानगर तक पहुंच सकेगा। 13 मौजूदा नहर प्रणालियों को एकीकृत कर तीन वर्षों में यह योजना पूरी करने का लक्ष्य है। इस तरह सिंधु जल संधि को स्थगित कर भारत अपने हिस्से के पानी का प्रभावी उपयोग कर सकेगा।

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