विरुपाक्ष रडार से लैस होंगे Su-30MKI फाइटर जेट

नई दिल्ली: भारत और रूस की रक्षा साझेदारी एक नए मोड़ पर पहुंच गई है, जहां भारतीय वायुसेना के Su-30MKI लड़ाकू विमानों को उन्नत विरुपाक्ष रडार और लंबी दूरी की मिसाइलों से लैस किया जा रहा है। चीन के किंगदाओ में 26 जून को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भारत-रूस के बीच रक्षा तकनीक साझा करने पर सहमति बनी। इस सहयोग के अंतर्गत रूस, भारतीय विमान बेड़े को न केवल अपग्रेड करने में मदद करेगा, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत मिसाइलों के स्थानीय निर्माण में भी सहायक होगा।

ROE (Rosoboronexport) ने Su-30MKI विमानों के लिए अगली पीढ़ी का विरुपाक्ष रडार एकीकृत करने की योजना की पुष्टि की है। यह रडार 600 किमी तक के लक्ष्यों की पहचान और ट्रैकिंग की क्षमता रखता है, जिसमें 2,400 गैलियम नाइट्राइड ट्रांसमिट/रिसीव मॉड्यूल होंगे। इसके साथ ही, RVV-BD (R-37M) मिसाइल के संचालन के लिए आवश्यक सेंसर और लक्ष्यीकरण प्रणालियों का उन्नयन भी किया जाएगा, जिससे पाकिस्तान और चीन के PL-15 जैसे हथियारों से निपटना संभव हो सकेगा।

IAF प्रमुख वीआर चौधरी के अनुसार, यह उन्नयन पूरी तरह स्वदेशी डिजाइन और हथियारों पर आधारित होगा, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक सिस्टम भी शामिल हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को एक नई ऊंचाई देगा और Su-30MKI को भविष्य की लड़ाइयों के लिए तैयार करेगा।

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