चीन अमेरिका टकराव: एशिया में बढ़ता तनाव, युद्ध की आशंका

चीन अमेरिका टकराव एक बार फिर वैश्विक राजनीति के केंद्र में आ गया है, जिससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तनाव चरम पर पहुंच गया है। हाल ही में शांग्री-ला डायलॉग सुरक्षा सम्मेलन में अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने चीन को वैश्विक स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बताया। इसके जवाब में चीन ने अमेरिका पर शीत युद्ध की मानसिकता अपनाने और एशिया को बारूद का ढेर बनाने का आरोप लगाया। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका दक्षिण चीन सागर में हथियार तैनात कर क्षेत्र को अस्थिर कर रहा है और ताइवान मुद्दे पर उकसावे को बढ़ावा दे रहा है।

अमेरिका के आरोपों के बीच चीन ने भी अमेरिका को ‘सुपरपावर गुंडा’ बताया है जो विश्व सुरक्षा को नुकसान पहुंचा रहा है। चीन ने ताइवान को अपना आंतरिक मामला बताते हुए अमेरिका को आग से खेलने से मना किया। वहीं, फिलीपींस के रक्षा मंत्री गिल्बर्टो टियोडोरो ने भी चीन को दक्षिण चीन सागर में अस्थिरता फैलाने वाला बताया, जिससे इस क्षेत्र की जटिलता और बढ़ गई है। दोनों देशों के बीच न केवल सुरक्षा बल्कि व्यापारिक तनाव भी गहरा रहा है, जिससे द्विपक्षीय रिश्ते अनिश्चितता की दिशा में बढ़ रहे हैं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन अमेरिका टकराव अब केवल राजनयिक बयानबाजी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सुरक्षा और आर्थिक मोर्चों पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहा है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र एक ऐसे विवादास्पद मोड़ पर है जहां किसी भी छोटी चिंगारी से बड़े पैमाने पर संघर्ष छिड़ सकता है। चीन की ओर से शांग्री-ला डायलॉग में निचले स्तर का प्रतिनिधिमंडल भेजना इस बात का संकेत है कि दोनों पक्ष पूरी तरह टकराव से बचना चाहते हैं, लेकिन स्थिति फिलहाल अत्यंत संवेदनशील बनी हुई है।

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