रूस ने दी तालिबान को मान्यता, भारत की कूटनीति जारी

रूस के तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता देने के फैसले ने दक्षिण एशिया की कूटनीति में हलचल मचा दी है। 2021 में सत्ता में लौटने के चार साल बाद पहली बार किसी बड़े देश ने तालिबान को औपचारिक रूप से स्वीकार किया है। अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “रूस का यह साहसी फैसला दूसरों के लिए एक उदाहरण बनेगा।” अब दुनिया की निगाहें भारत के रुख पर टिकी हैं, जो अफगानिस्तान में लंबे समय से निवेश और रणनीतिक हित रखता है।

भारत ने 1996 से तालिबान को कभी मान्यता नहीं दी, लेकिन 2021 में अमेरिका की वापसी के बाद बदले हालात में उसने व्यावहारिक रुख अपनाया। नई दिल्ली ने दोहा और दुबई में तालिबान अधिकारियों से बातचीत की, जबकि मानवीय सहायता लगातार जारी रखी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर की तालिबान विदेश मंत्री से बातचीत ने भारत के बदलते दृष्टिकोण को दर्शाया, हालांकि अब तक औपचारिक मान्यता नहीं दी गई है।

**भारत ‘वेट एंड वॉच’ की नीति पर चल रहा है, जिसमें वह तालिबान शासन की स्थिरता, आतंकवाद पर नियंत्रण और समावेशी सरकार जैसे वादों की जांच कर रहा है। पश्चिमी देशों के रुख को देखते हुए भारत फिलहाल संतुलन साधे हुए है। अफगानिस्तान के साथ ऐतिहासिक संबंधों और रणनीतिक साझेदारी को बरकरार रखते हुए भारत बिना मान्यता दिए तालिबान से संपर्क बढ़ा रहा है। भारत की यह सूझबूझ भरी कूटनीति आने वाले समय में उसकी वैश्विक भूमिका को प्रभावित कर सकती है।

ताज़ा खबर

गावस्कर का रिकॉर्ड गिल के निशाने पर मैनचेस्टर में

ममता बनर्जी आज शहीद सभा से फूंकेंगी चुनावी बिगुल

‘हथियार व्यापार’ से चलता है नॉर्थ कोरिया का खजाना

20 साल कोमा में रहने वाले ‘स्लीपिंग प्रिंस’ का निधन