रूसी तेल पर भारत अडिग, नहीं झुकेगा अमेरिकी दबाव में

नई दिल्ली: अमेरिका के नए विधेयक की धमकी के बावजूद भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने ऊर्जा हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। जून 2025 में भारत का रूसी तेल आयात 11 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जिससे रूसी तेल की भारत की कुल तेल खपत में हिस्सेदारी 43.2% हो गई। यह आंकड़ा पश्चिम एशियाई देशों – इराक, सऊदी अरब और यूएई – के संयुक्त आपूर्ति आंकड़ों से भी अधिक है।

अमेरिका में प्रस्तावित कानून के तहत रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 500% टैरिफ लगाए जाने की आशंका है, जिसे लेकर भारत में चिंता है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वाशिंगटन में सीनेटर लिंडसे ग्राहम से मुलाकात कर भारत के ऊर्जा हितों की जानकारी दी। फिर भी भारत ने स्पष्ट किया है कि वह सर्वोत्तम कीमत वाले आपूर्तिकर्ता से ही तेल खरीदेगा, भले वह रूस ही क्यों न हो।

विश्लेषकों का मानना है कि छूट, भुगतान प्रणाली और वैकल्पिक लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के चलते रूसी बैरल अब भी भारतीय रिफाइनरियों के लिए अत्यधिक प्रतिस्पर्धी बने हुए हैं। यदि पश्चिमी देश द्वितीयक प्रतिबंधों को कड़ा करते हैं, तो आयात तंत्र पर असर पड़ सकता है, लेकिन फिलहाल रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना रहेगा।

 

 

ताज़ा खबर

सलमान की ‘रामायण’ अधूरी रही एक गलती की वजह से

किश्तवाड़ मुठभेड़ में जैश आतंकी घेरे में

‘कजरा रे’ में थिरके बच्चन परिवार, फिल्म ने रचा इतिहास

गावस्कर का रिकॉर्ड गिल के निशाने पर मैनचेस्टर में