मलेशिया से बांग्लादेशियों की वापसी पर बढ़ा विवाद

मलेशिया द्वारा हाल ही में तीन बांग्लादेशी नागरिकों को “उग्रवादी” बताकर निर्वासित किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव गहराता दिख रहा है। मलेशियाई पुलिस प्रमुख द्वारा दिए गए बयान में इन लोगों को कट्टरपंथ से जुड़ा बताया गया था। हालांकि, बांग्लादेश सरकार के गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल जहांगीर आलम चौधरी ने साफ किया कि “वे आतंकवादी नहीं हैं, बल्कि उनके वीजा की अवधि समाप्त हो चुकी थी।” उन्होंने यह भी कहा कि मलेशिया से इस संबंध में कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है।

चौधरी ने यह भी दावा किया कि पिछले दस महीनों में बांग्लादेश में आतंकवाद से जुड़ी कोई गतिविधि दर्ज नहीं की गई है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में यह भी कहा कि देश में हिंसा की घटनाएं भले हों, लेकिन आतंकवाद जैसी किसी भी समस्या से फिलहाल देश अछूता है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब जून में मलेशिया में 36 बांग्लादेशियों को कथित तौर पर ISIS जैसी विचारधारा से जुड़ा बताते हुए गिरफ्तार किया गया था।

बांग्लादेश सरकार ने मलेशिया के आरोपों को नकारते हुए कहा है कि राजनयिक माध्यमों से बातचीत जारी है और इस मुद्दे का समाधान बातचीत से ही निकाला जाएगा। अधिकारी ने जोर देकर कहा कि “हमारे पास आतंकवाद से जुड़ी कोई ठोस जानकारी नहीं है और अगर मलेशिया के पास कोई साक्ष्य है, तो हम उससे निपटने को तैयार हैं।” इस घटनाक्रम ने दोनों देशों के बीच प्रवासी नीतियों और सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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